अकाश की गुरू दक्षिणा
शिक्षा- सुयोग्य छात्र अपने ज्ञान तथा विद्वता से अपने गुरु का मान बढ़ातें हैं ।
आज कल की दुनिया में कोई इनसानियत नहीं बची हैं -
१ कहीं लोग बम फ़ोड़ रहैं हैं
२ और कहीं लोग गाड़ीया तोड़ रहैं हैं
३ सरकार हाथ धरे बैठी है
४ चंद वोटों की खातिर सरकार एक दुसरों को लड़वा रही है
५ कहीं लोग पेड़ काट रहैं हैं जिसकी वज़ह से धरती का वातावरण बिगड़ रहा है
६ अभी ताज होटल में आपरेशन चल ही रहा था, की नेता लोग वोट मागंने निकल पड़े
७ नेता लोग बस अफसोस ही करते रहे जाते है
८ महँगाई आसमान चूम रही है
९ पोलयोशन दिनों-दिन बड़ता जा रहा है
आज की दुनिया का यही हाल है
खेतों पर बगीचों में
या सड़कों के किनारे,
लगे वृक्ष
कितनें अच्छे लगते हैं,
वनों की तो बात ही और है!
चारों ओर वृक्ष ही वृक्ष हैं।
छोटे बड़े,नये पुरानें
भाँति-भाँति के वृक्षों को देख कर
बड़ी प्रसन्नता होती है।
लेकिन मानवता उन से बेखबर सोती है।
वृक्षों की बात करते ही
उनके लाभ याद आ जाते हैं।
उन की छाया देती है सकून
हमे देते हैं वे फल और फूल
लकड़ी जो हमे पालती है और
अंत में चिता तक साथ देती है।
बदले में भला वह क्या हम से लेती है।
आओ नया वन उगाएं।
इस धरती को स्वर्ग -सा सजाएं।
छोटे-ब
बड
मौत से कोई नही बचा।
जो भी आया वह गया
मौत हर पल पीछे
पर हमे क्या पता
कब वार कर दे।
मौत से कोई बही बचा
यहाँ तक की वक्त
ना पता मरनें का।
पता नही
कब बुलाएगा ऊपर वाला?
पता नही कब यमराज लेनें आएगा?
मौत से कोई नही बचा।
कब वह हमें लेकर जाएगा?
अपनी अदालत खड़ी करेगा
और हमारे नर्क-स्वर्ग
जानें का फैसला करेगा।
मौत से कोई नही बचा।
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