कबीर के दोहे
आज कहे काल भजूँगा,काल कहे फिर काल ।
आज काल के करत ही,औसर जासी चाल॥
करत करत अभ्यास के , जड़्मती होत सुजान ।
रसरी आवत जात के, सिल पर परत निसान ॥
आब गई आदर गया,नैनन गया स्नेहु ।
यह तीनों तब ही गए,जब कहा कुछ देहू ॥
© Blogger template Newspaper III by Ourblogtemplates.com 2008
Back to TOP
1 comments:
कबीर के दोहे सच में बहुत ही बढिया हैं।लेकिन यदि आप अपन्फ मौलिक रचा लिखे तो और भी बेहतर होगा।
Post a Comment