Thursday, December 20, 2007

कबीर के दोहे

आज कहे काल भजूँगा,काल कहे फिर काल ।
आज काल के करत ही,औसर जासी चाल॥
करत करत अभ्यास के , जड़्मती होत सुजान ।
रसरी आवत जात के, सिल पर परत निसान ॥
आब गई आदर गया,नैनन गया स्नेहु ।
यह तीनों तब ही गए,जब कहा कुछ देहू ॥

Read more...

Sunday, August 5, 2007

Hi.......


Read more...

Do You Know Me


Read more...

About This Blog

जब मन मे कोई तरंग उठती है तो उसे समेटने कि एक छोटी सी कोशिश करता हूँ................

  © Blogger template Newspaper III by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP